Даниил Хармс - Gewisse Haendlerin 1

Сладострастная торговка (1.)

Одна красивая торговка
с цветком в косе, в расцвете лет,
походкой легкой, гибко, ловко
вошла к хирургу в кабинет.

Хирург с торговки скинул платье;
увидя женские красы,
он заключил её в объятья
и засмеялся сквозь усы.

Его жена, Мария Львовна,
вбежала с криком «Караул!»,
и через полминуты ровно
хирурга в череп ранил стул.

Тогда торговка, в голом виде,
свой организм прикрыв рукой,
сказала вслух: «К такой обиде
я не привыкла…» Но какой
был дальше смысл ее речей,
мы слышать это не могли,
журчало время как ручей,
темнело небо. И вдали
уже туманы шевелились
над сыном лет — простором степи
и в миг дожди проворно лились,
ломая гор стальные цепи.

Хирург сидел в своей качалке,
кусая ногти от досады.
Его жены волос мочалки
торчали грозно из засады,
и два блестящих глаза
его просверливали взглядом;
и, душу в день четыре раза
обдав сомненья черным ядом,
гасили в сердце страсти.
Сидел хирург уныл,
и половых приборов части
висели вниз, утратив прежний пыл.

(14.-17. 10. 1933)

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Даниил Иванович Хармс (=/Ювачёв;
17 [30] декабря 1905, Санкт-Петербург —
2 февраля 1942, Ленинград):
русский и советский писатель, поэт и драматург (ru.wiki)

Daniel  Harms
(=/Daniil Iwanowitsch Juwatschow, 1905 /1942)


Eine wolluestige Haendlerin

Gewisse  Haendlerin  war  Schoenheit,
trug Bluemlein  in  dem  Zopfe,  und
kam  zur  chirurgischen Sprechestund`
mit  schmeidig-gaengiger  Gewoehnheit.

Chirurg  riss  weg  all  ihre  Trachten,
und, trachtend  weibliche  Zierrath,
umarmte  Haendlerin  und  lachte
durch  seinen  geiligen  Schnauzbart.

Maria  Lwowna,  seine  Gattin
schrie  "Zeter!",  laufend  hinterher,
und  in  der  Halb-Minute  that  ihn
mit  Stuhl  erschlagen  (Armer  Herr!)

Darauf  die  Haendlerin,  ganz  nackte,
den  Organismus  zugedeckt
mit  einer  Hand,  ganz  stimmig  sagte:
"Was  soll` die  Schande!" Doch  versteckt
verblieb  uns  ihrer  Reden  Sinn,
wir  hoerten  ihr  nicht  weiter  zu,
die  Zeiten  quellten  im  Gerinn`,
der  Himmel  dunkelte.  Dazu
bewegten  sich  die  Nebel-Schleier
zum  fernen  Sohn  der  Zeit  und  Wueste
und  gossen  Regenwolken-Geier,
den  Bergen  brechend  die  Gerueste.

Chirurg  sasz boes` im  Wankel-Sessel
und  bisz  sich  Naegel   ungehalten.
Der  Gattin-Haare wirre  Kressen
sprang  drohend  aus  dem  Hinterhalte.

Die Augen glaenzten   und  durchschossen
den  Mann, sie  bohrten  und  vertieften,
die  Seele  ward  ihm  uebergossen
viermals pro Tag mit  Zweifeln-Giften
und machte jede  Lust  zunichte.

Und  er  sasz  traurig  und  sehr  traeg,
die  Teile  des  Geschlechtes  richtend
gen  Boden,  feuerlos  und  schraeg.
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